कुछ समय पहले एक वरिष्ठ और आर्थिक रूप से संम्पन्न साथी ने मेरे सामने
बिजनेस पार्टनर बनने का आकर्षक प्रस्ताव रखा उस के पीछे जो कारण उन्होंने बताया वो
बड़ा रोचक था। उन्होंने कहा सदा ही हर आदमी उन से बेईमानी करता है और उन्हें धोखा
देता है तथा मुझ में उन्हें ईमानदार शख्स नजर आया। मैंने कहा कि जिसे यह लगता है
कि सब लोग उसे धोखा ही देते हैं ऐसे व्यक्ति के साथ सांझेदारी खतरनाक है। मेरी
ईमानदारी का आधार जो मुझे उन्होंने बताया वो भी कम मज़ेदार नहीं था। वो था मेरे
पिता की ईमानदारी, मेरी जाति और मेरी सेना की पृष्ठभूमि। मैंने उन्हें कुछ ईमानदार
पिताओं की बेईमान संतानों, मेरी जाति के कुछ भ्रष्टाचारियों तथा कुछ ईमान बेचने
वाले फौजियों के नाम गिनाये। अंत मैंने बड़े सम्मान से उन का प्रस्ताव अस्वीकार कर
दिया और उन से निवेदन किया कि ईमानदार सहयोगी ढूँढने की बजाय कृपया वो कमी दूर
करें जिस की वजह से लोग उन्हें धोखा देते हैं। आज वो सज्जन आम आदमी पार्टी में हैं
और मुझे यकीन है कि ईमानदार पार्टनर की उन की खोज बंद नहीं हुई है।
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