शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा बच्चों से संवाद पर बहुत से
तथाकथित बुद्धिजीवियों ने काफी हो हल्ला मचाया। एक भारतीय होने के नाते मैं मानता
हूँ कि फ़िलहाल हमें राष्ट्रीय चरित्र की जरूरत है और प्रधान मंत्री द्वारा बच्चों
से संवाद स्थापित करने जैसे कार्य इस में बहुत मदद करेंगे। मेरे विचार से ये एक
उत्तम कदम था और दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर इस का स्वागत किया जाना चाहिए था। ये
अफ़सोस की बात है कि कुछ राज्यों की सरकारों ने सिर्फ इर्ष्यावश अपने राज्यों के
स्कूलों में येनकेन प्रकारेण इस संवाद को बच्चों तक नहीं पहुँचने दिया। जाहिर है
कि राजनैतिक प्रतिद्वंदिता इस का कारण है और जब बात राजनैतिक छिछोरेपन की आती है
तो देश जाए भाड़ में! चलिए राष्ट्र और राज्यों से नीचे हमारे अपने नारनौल में आते
हैं। पर पहले एक छोटी सी कहानी! एक मेंढकी ने टापों की आवाज सुन कर पानी से बाहर
सर निकाला और सरपट दौड़ते घोड़े को कौतुहल से निहारा। उस ने जोश में आ कर तालाब से
बाहर चार-छह छलांगें लगायी और फिर गर्व से गर्दन ऊँची कर पीछे मुड़ कर फासले को निगाहों से नापा-तोला! ‘बहुत अच्छे!
अब होगा घोड़े से मुकाबला!’ उसी समय घोडा फिर वहां से गुजरा। ‘अरे ये टप-टप कैसे
होती है?’ तभी मेंढकी की नजर घोड़े की नालों पर पड़ी। ‘ओह ये है राज इस रफ़्तार का!’
और मेंढकी अपने पैरों में नाल ठुकवाने चल दी लुहार की तरफ!
आदर्श सनातन धर्म विद्यालय नारनौल का पुराना और प्रतिष्ठित विद्यालय
है! मुझ जैसे न जाने कितने हजार लोगों पर इस विद्यालय का कर्ज है! न जाने कितने ही
लोग यहीं पढ़ कर देश विदेश में नाम कमा रहे हैं! पर ट्रष्ट की अंदरूनी राजनीति के
चलते यहाँ न कुछ आदर्श बचा है, न सनातन, न धर्म और न ही विद्यालय! इस राजनीति ने
स्कूल की प्रतिष्ठा को बहुत नुकसान पहुँचाया है। बहरहाल इस खींचतान के बीच श्री
गोपाल शरण गर्ग और श्री गोविन्द भारद्वाज क्रमशः प्रधान और उप प्रधान के पद पर
सुशोभित हैं। इन में से एक तो प्रसिद्द मौसम वैज्ञानिक हैं! इन्हें मौसम विज्ञान
में इतनी महारत हासिल है कि ये हवा को सूंघ कर पता लगा लेते हैं की किस पार्टी की
सरकार आने वाली है! बस जी ये उस पार्टी की सभाओं में मंच पर मुख्यातिथि के बगल की
सीट का जुगाड़ किये मिलते हैं! कट्टर स्वयंसेवक का दम भरने वाले इन महाशय ने
उल्लेखनीय छलांग तब लगायी जब ये इनेलो की सरकार आने पर वहां नजर आए और इन्होने संघ
से ऐसी बेरुखी से किनारा किया कि बेचारों को शाखा लगाने की जगह तक देने से इंकार
कर दिया। फिर चौटाला से लोगों ने किनारा कर लिया और हुड्डा को सत्ता सौंप दी पर ये
मौसम वैज्ञानिक वहां पहले से ही नजर आए और मित्रों इन के पाला बदल से लग रहा है कि
इस बार बीजेपी के आसार हैं पर घबराईये मत बीजेपी नहीं भी आती है तो भी ये सत्ता
में आई पार्टी में ही मिलेंगे! वैसे लोग इन के बारे में तरह-तरह की बातें करते हैं
परन्तु सच होने पर भी उन का उल्लेख उचित नहीं है! दूसरे सज्जन बीजेपी के पुराने
नेता हैं! इन सब बातों का उल्लेख यहाँ इस लिए जरूरी हो गया कि ये कहा जा सके कि
आदर्श सनातन धर्म विद्यालय एक प्रकार से भाजपामय है और जैसा कि मैंने ऊपर लिखा कि
प्रधानमंत्री का कार्यक्रम देश के लिए था! दलगत राजनीति से ऊपर! फिर क्या कारण रहा
कि एक प्रतिष्ठित विद्यालय, जिस के ट्रष्ट के प्रधान और उपप्रधान दोनों ही भाजपा
से जुड़े हैं, ने अपने विद्यार्थियों को प्रधानमंत्री का संबोधन दिखाना जरूरी नहीं
समझा? अगर ये भूल है तो बहुत बड़ी भूल है और ये ट्रष्ट के पदों के लिए जूतम पैजार
करने वाले महानुभावों की विद्यालय में रूचि प्रदर्शित करता है। हाँ एक पहलू और भी
हो सकता है कि ये दोनों सज्जन भी नरेंद्र मोदी के लम्बे हो चले कद से असहज महसूस
कर रहे हों, कुछ राज्यों के मुख्यमन्त्रियों की तरह! यदि ऐसा है तो ए मेरे नारनौल
की एतिहासिक भूमि, तुझे शतशत प्रणाम कि तूने ऐसी मेंढकी पैदा की जिन में पैरों में
नाल ठुकवाने की कुव्वत है! तू ही ऐसे सूरमा पैदा कर सकती है।
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