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Tuesday, 20 May 2025

मित्र भेद

 हफ्ते भर पहले पूर्व सैनिकों की एक सभा में सेना तथा सेना से बाहर के माहौल के बारे में किसी ने एक बड़ी मजेदार बात कही कि वहां आदमी जो कहेगा वह करेगा, जो नहीं कहेगा वह नहीं करेगा किंतु यहां आने के बाद का अनुभव है कि लोग जो कहेंगे वह करेंगे नहीं, जो करेंगे वह कहेंगे नहीं! लेकिन राजनीति इससे भी कई कदम आगे है। यहां दिखता कुछ, करते कुछ, कहते कुछ और होता कुछ!

कोरिया वास में नवनिर्मित महर्षि च्यवन मेडिकल कॉलेज का नाम राव तुलाराम के नाम पर रखने के लिए कुछ लोग मुहिम चलाए हुए हैं। तुलाराम से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए और होगी भी नहीं, किंतु यह मेडिकल  कॉलेज उसी ढोसी पर्वत की तलहटी में बना है जिस पर च्यवन ऋषि ने तपस्या की तथा च्यवनप्राश का आविष्कार किया था। इन सब परिस्थितियों में सरकार ने उन्हें यह कॉलेज का समर्पित कर दिया। किंतु वोट बैंक ने यह मुद्दा गरमा कर महापुरुषों को एक दूसरे के सामने ला खड़ा किया। च्यवन ऋषि के नाम के बोर्ड तोड़े जाने के बाद समाज में तीखी प्रतिक्रिया हुई तथा विभिन्न संस्थाओं ने मेडिकल कॉलेज का नाम च्यवन ऋषि के नाम पर ही रहने देने के लिए आवाजें उठाईं और यह लगभग तय हो गया कि कॉलेज का नाम च्यवन ऋषि के नाम पर ही रहेगा। ऐसी उम्मीद थी कि इस बारे में आरती राव या उनके पिता वोट बैंक को समझा कर राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए मामला समाप्त कर देंगे। किंतु इस विवाद में एक नया अध्याय दो दिन पहले तब जुड़ गया जब भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद चौधरी धर्मवीर ने मुख्यमंत्री की महेंद्रगढ़ रैली में कॉलेज का नाम राव तुलाराम के नाम पर रखने की मांग मंच से उठा दी। प्रश्न इस मांग की मंशा को ले कर है। क्या यह मांग धर्मवीर की निजी सोच है या फिर इसके पीछे इंद्रजीत का भी हाथ है? यदि यह धर्मवीर की निजी सोच है तो वे इंद्रजीत के मित्र हैं या शत्रु? अगर वे सचमुच उनके शुभचिंतक हैं तो मुझे लगता है कि राव इंद्रजीत को वातानुकूलित कमरे में बैठकर पंचतंत्र की 'मित्र भेद' खंड की कहानियाँ पढ़नी चाहिएं! यदि इस मांग के पीछे उनका किसी भी प्रकार का हाथ है तो उन्हें  घेर रखने वाली 'जय जय राव - जय जय राव' वाली भजन मंडली से बाहर निकलकर जनता का मन टटोलना चाहिए! उनकी पुत्री ने अटेली में हाल ही में बड़ी कठिन जीत पाई है कहीं ऐसा न हो कि उनके पास सिर्फ वोट बैंक ही रह जाए और हरियाणा चुनाव की तरह साढ़े पैंतीस बिरादरी कहीं और खिसक लें। यदि धर्मवीर उनके शत्रु हैं तो उन्हें तुरंत वोट बैंक को इस विवाद का पटाक्षेप करने का निर्देश देना चाहिए। और भी एक एंगल है कि धुर दक्षिण के उनके घोर विरोधी इस सब के पीछे तो नहीं? वैसे इनके अलावा भी कई प्रश्न हैं! प्रश्नों में प्रश्न हैं! उन प्रश्नों के उत्तरों में भी प्रश्न हैं! सचमुच फ़ौज बड़ी अच्छी जगह थी, सरल और सुंदर....! 

जय हिंद 

राकेश चौहान 

#RSC

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