वाकई दलित कार्ड हर बार ताश के खेल का हुकुम का इक्का साबित होता है। ये सामने आया नहीं कि बाकी 51 पत्ते ज़मीन पर लंबलेट! चला तो यह गया बी. आर. गवई पर जूता फेंकने के मामले में भी था, लेकिन जिसको इन्होंने हुकुम का इक्का समझ कर पटका मारा था वो तो चिड़ी का गुलाम निकला और हुकुम का इक्का राकेश आनंद के हाथ से मुस्कुराता हुआ बाहर आया। राकेश आनंद की एक ही बात ने कि गवई कहां का दलित वो तो बौद्ध है, असली वाला दलित या SC तो मैं हूं, जैसे वामपंथी-मिशनरी गठबंधन की धोती का धागा ही खींच दिया। इस डर से कि अब दलित> नव बौद्ध> ईसाई रूट का भांडा फूटेगा कि कैसे घाल मेल करके SC में नवबौद्धों को शामिल किया गया, चुप्पी छा गई। जैसे ताश के खेल में हुकुम के इक्के को ब्रह्मास्त्र कहते हैं वैसे ही दलित कार्ड भी अचूक है। किंतु अफसोस है कि हर बार ये विघटनकारियों के हाथ में ही मिलता है जो हर चाल के बाद समाज या राष्ट्र का कुछ हिस्सा जरूर तोड़ता है। इस बार इसका राकेश आनंद के हाथ में मिलना एक सुखद संयोग ही कहिए।
क्या आपको सूनपेड याद है? अजी वही पलवल के पास एक गांव में दो दलित बच्चों को सोए हुए ही जला दिया था। दलित कार्ड चला गया और मासूम बच्चों को जिंदा जलाने के इल्ज़ाम में 11 'ऊंची जाति के दबंग ठाकुर सामंत' जेल चले गए। पुलिस की शुरुआती जांच में ही सामने आ गया था कि केरोसिन बाहर से नहीं फेंका गया बल्कि घर के अंदर से ही कुछ हुआ है। किंतु फिर से 51 पत्ते हुकुम के इक्के के सामने पस्त हो गए। निर्दोष मनुवादी पड़ोसी गिरफ्तार हुए, रोला हुआ और अंत में जांच सीबीआई के पास आ गई। जाँच में सीबीआई ने 11 के 11 आरोपियों को निर्दोष पाया विशेष सीबीआई अदालत ने उन्हें दोष मुक्त भी कर दिया। फौजदारी मुकदमे पूरे के पूरे परिवारों को बर्बाद कर देते हैं! इन आरोपियों के परिवारों पर क्या बीती होगी यह तो वही जाने, किंतु फिर उन दो मासूम बच्चों की मौत का जिम्मेवार कौन था? दलिल कार्ड के नीचे असल अपराधी छिप गया। हो सकता है कि वो परिवार का सदस्य या उन बच्चों का पिता ही हो। जो भी हो एक अपराधी उसी समाज के बीच खुला घूम रहा होगा जिसकी रक्षा के लिए दलित कार्ड बना था। ये दलित समाज के लिए अच्छा हुआ या बुरा? उस समय हरियाणा में बीजेपी सरकार बने कुछ ही समय हुआ था जो दलित कार्ड के सामने घुटनों पर आ गई थी।
पिछले सप्ताह हरियाणा के ही पुलिस अधिकारी वाई पूर्ण कुमार ने आत्महत्या कर ली उन्होंने अपने सुसाइड नोट में जातीय प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। राज्य में इस बार भी भाजपा सरकार है। राज्य कोई भी हो पर भाजपा सरकार दलित कार्ड से कायरता की हद तक भयभीत रहती है। आनन फानन में आला अधिकारियों पर गाज गिरी, डीजीपी तक को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। इससे पहले मृत आईपीएस अधिकारी के गनमैन को एक शराब कारोबारी से रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गनमैन का कहना है कि वह वाई पूर्ण कुमार के कहने पर ही यह राशि मांग रहा था। जजों, आईएएस तथा आईपीएस अधिकारियों का बे हिसाब संपत्ति अर्जित करना अब जग जाहिर है। कहते हैं राज्य के लगभग 70% आईपीएस अधिकारियों के पास 500 करोड़ से ऊपर की संपत्ति है। बड़े बड़े अधिकारी शराब के कारोबार में हिस्सा डालते हैं, इनके होटल रिसोर्ट और शराब के अहाते चलते हैं, सरकारी ठेकों में इनका हिस्सा रहता है और ईमानदार सरकार इनके सामने उकड़ू बैठी नजर आती है। यह भी हो सकता है कि इस सारे मामले में रिश्वत और मंथली का मामला भी कहीं ना कहीं शामिल हो। लेकिन अफसोस अब हुकुम के इक्के के नीचे सब दब जाएगा।
राकेश चौहान
#RSC
No comments:
Post a Comment
your comment please