poems

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बरखा

दूर क्षितिज में,
घटाओं के केश,
नितम्बों पर फैलाये,
धरती इठलाई!

यादों के बीज,
छुपे थे जो माटी के मन में,
नव अंकुर को आतुर,दौड़े बाहें पसारे,
स्वागत में बरखा रानी के!

मोती सी बूंदों का,
प्यासी धरती से मिलन हुआ,
तन गीला, मन पुलकित,
महका रोम-रोम अनछुआ!

बांटने लगी उपहार वर्षा,
जहाँ जो भी मिला,
किसान को प्राण,
कोयल को मिठास,

आसमान को सतरंग,
मोर को ताल,
चकोर को तृप्ति,
मैंने पूछा, मेरे लिए क्या लायी हो?

छू गयी मेरे कान को,
एक बूँद ऐसे,
नाजुक होंठ किसी ने,
छुए हों जैसे!


नवपरिवर्तन

परिवर्तन की चाह तुम्हें है, बलिदानों से डरते हो!
क्यूँ कहते हो जीना इस को जब पल पल तुम मरते हो!!

कब चमकी हैं उषा की किरणें बिना तिमिर का नाश किये!
दीपक जलता रात-रात भर स्वर्ण सुबह की आस लिए!
धरा नापना तुम चाहो पर चलने से डरते हो!
परिवर्तन की चाह तुम्हे है, बलिदानों से डरते हो!!

दी आहुति कितनों ने , परिवर्तन की राहों में!
निकले थे पाने विजयश्री, पर सोये मृत्यु की बाँहों में!
सूरज को तुम छूना चाहो, 'पर' जलने से डरते हो!
परिवर्तन की चाह तुम्हे है, बलिदानों से डरते हो!!

परिवर्तन सौगात किसी को उपहारों में नहीं मिली !
जिसने भी अपना हक मांगा पायी उसने ही सूली !
परिवर्तन के हवन कुण्ड में जब कर दोगे सब कुछ अर्पण !
तब आएगी नयी सुबह तब आएगा 'नवपरिवर्तन' !!


पल-पल याद तुम्हारी आती


पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती !
सांस मेरी फिर रुक सी जाती पल पल याद तुम्हारी आती !!

झर झर कर यों गिरते पत्ते, पेड़ों से जब प्रेम पत्र से!
महक उठे जब मन मयूर, कोयल के मीठे गीतों से!!

रंग-रंगीली तितली जब-जब, फुनगी-फुनगी छू कर जाती!!
तब-तब याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!

पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!!

इठलाती बल खाती नदिया पर्वत की गोदी से उतर कर!
मूढ़ किनारों से छिप-छिप कर, सागर से मिलने को जाती!!

श्याम घटा जब-जब आँचल में बूंदों के मोती ले कर जाती!
तब-तब याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!

पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!!

धूप में जल कर सुलगे टीले, सूरज की गर्मी से बच कर!
शीतल चांदनी की बाँहों में, लिपट चैन से जब सो जाते!!

कस्तूरी की भीनी खुश्बू जब-जब हिरणों को बहकाती!
तब-तब याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!

पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!!

बैरन बहती सर-सर हवा, सपने लेती टहनियों को!
हिला हिला के जब जगाती, तब तब याद तुम्हारी आती!

पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!!



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