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Thursday 25 February, 2016

वैकल्पिक अध्ययन (alternate study)

वैकल्पिक अध्ययन यानि alternate study के नाम पर क्या किसी को कुछ भी कहने और करने की इजाज़त दी जा सकती है? वैकल्पिक अध्ययन? ये क्या है? निर्दोषों की हत्या में शामिल व्यक्ति को एक संप्रभु देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा सुनाई गयी और संवैधानिक तरीके उस देश के राष्ट्रपति द्वारा नामंजूर की गयी दया अपील के बाद दी गयी सजा का विरोध वैकल्पिक अध्ययन है? सिर्फ एक संस्कृति और और उस के रीति रिवाजों का विरोध एक तरफ रहा पर उसका निचले दर्जे का अपमान है वैकल्पिक अध्ययन? महिसासुर की पूजा और दुर्गा का अपमान है वैकल्पिक अध्ययन? बीफ पार्टियों का आयोजन है वैकल्पिक अध्ययन? देश की बहुसंख्यक आबादी की हजारों साल पुरानी संस्कृति की मान्यताओं का अपमान करके कुंठित मानसिकताओं की संतुष्टि है वैकल्पिक अध्ययन? सत्य का रूप एक हो सकता है उसके बोलने के तरीके अलग, यह है वैकल्पिक अध्ययन! क्योंकि ‘एकं सत् विप्रा: बहुदा वदंति’! सिर्फ बोलने के तरीके में फर्क के बावजूद प्रकटीकरण का जरिया है वैकल्पिक अध्ययन जो सत्य है वही सम्यक सोच है। सम्यक सोच वाले समूह को ही समाज कहते हैं। बिना सम्यक सोच के समाज सिर्फ एक बे-लगाम भीड़ है। और समाज बहुत जगह देवताओं और चरित्रों से भी बड़ा है। यह समाज ही है जो कि एक तरफ तो रावण को बुराई का प्रतीक मान कर हर साल उसका दहन करता है और दूसरी तरफ उसके द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र को उत्कृष्ट रचना मान कर उसका गायन करता है। एक तरफ राम की भगवान मान कर पूजा करता है दूसरी तरफ बाली वध के तरीके और सीता को त्यागने की आलोचना करता है, दुखी होता है। आपको बाली और मेघनाद नाम बहुत मिल जायेंगे लेकिन विभीषण नाम नहीं मिलेगा। चरित्र कभी भी सत्य से बड़े नहीं हो सकते। इसी लिए सत्य ही ईश्वर है, ‘सत्यम शिवम् सुन्दरम्’! सत्य को स्वीकार कर के चलने वाला समाज ही सम्यक समाज हो सकता है क्योंकि सत्य ही सनातन है! बेशक सीता का हरण करने वाले रावण और अबलाओं पर कहर ढाने वाले महिसासुर यहाँ से चले जाएँ और साथ ही चले जाएँ भाई के खिलाफ़ दुश्मन से मिल जाने वाले विभीषण और एक सती को घर से निकालने वाले राम भी! एक सभ्य और सम्यक समाज में सिर्फ मर्यादा पुरोषत्तम राम, ज्ञानी-विद्वान-चरित्रवान रावण और सत्य को स्वीकार करने वाले भैरवनाथ को ही रहने की इजाज़त है।

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