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Thursday, 6 October 2022

धर्म पर वामपंथी संकट

 'दादा जी का परसों श्राद्ध है कृपया पधार कर हमारे पूरे परिवार को अनुग्रहित करें'  मैंने उनसे कहा। वह बोले, 'मैं किसी के यहां जीमने नहीं जाता' 'तो फिर मैं किसी जाट या किसी ठाकर को बुला लूं!' यह बात सुनकर वह थोड़े विचलित हुए, चेहरे के भाव बदले और हल्का सा मुस्कुरा कर बोले 'ठीक है, मैं आऊंगा'। मैं सोचने लगा कि वामपंथ की जड़ें कितनी गहरी पैठ चुकी हैं जाने अनजाने में हर कोई इनके हाथ का औजार बन गया। ब्राह्मण, ब्राह्मण होने पर शर्मिंदा है अपना शास्त्रीय कार्य करने पर हिचकता है, लज्जित है और दूसरे उसे समाप्त कर देना चाहते हैं। स्कूलों में मास्टरों के गैंग एससी/एसटी एक्ट के बुलडोजर पर सवार, 'रै बामणिया- रै  बामणिया खा ले हराम का' और ब्राह्मण अध्यापक बेचारा अपमान का घूंट पीकर मुस्कुरा देता है। 'गया कनागत आया नोरता, बामन रह गया खाज खोरता! खी खी खी' और ब्राह्मण इग्नोर करके निकल लेता है। जबकि हराम का खाने का ताना देने वाले इन गैंगस्टरों ने इस ब्राह्मण को एक टॉफी भी नहीं खिलाई कभी।

 500 साल उन्होंने और 200 साल इन्होंने जोर लगा लिया लेकिन सनातन धर्म को खत्म ना कर पाए। वामपंथी क्योंकि पढ़े-लिखे निकले उन्होंने रिसर्च किया और पाया कि ब्राह्मण खत्म तो सनातन खत्म। आखिर हजारों सालों तक ज्ञान, गणित, खगोल, योग, आयुर्वेद आदि का खजाना, ब्राह्मणों ने ही तो बचा के रखा। ब्राह्मण ही तो था जो अपने जजमान के लिए अपने सजातीय से भी भिड़ बैठता था। 'नाई-बामण-कूकरो देख सकै ना दूसरो' कहने वाले समाज को भी ब्राह्मण का समाज के प्रति समर्पण नजर ना आया और वह भी वामपंथियों के हाथ का हथियार बन बैठा। समाज को छोड़ो खुद ब्राह्मण भी यह बात न समझ पाया! वह कुंठित, पीड़ित और खिन्न है। आज वो वशिष्ठ, अत्री, गौतम, विश्वामित्र नहीं, परशुराम बनना चाहता है। सहस्त्राब्दियों की जांची परखी ज्ञान की श्रेष्ठता अब उसे तुच्छ लगने लगी है। उसका झुकाव धन और बल की तरफ है। परशुराम मंदिर, परशुराम चौक, परशुराम अवार्ड, परशुराम संस्था.. पूरा सनातन समाज उसे दुष्ट लग रहा है जिसका उपचार उसकी नजर में फरसा है। वह राम को भूल रावण में नायक खोज रहा है, उसके कुकृत्यों को जस्टिफाई कर रहा है!  सच में सनातनी समाज वामपंथ के दुष्चक्र में फंस चुका। इस्लामिक और ईसाई सांस्कृतिक आक्रमणों का भी इलाज हो जाएगा पर वामपंथ के इस षड्यंत्र का क्या? फिलहाल तो इस से निकलना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है। सनातन को बचाना है तो ब्राह्मण और ब्राह्मणत्व को नष्ट होने से रोकना ही होगा और इसके लिए पूरे सनातन समाज को प्रयास करना होगा और हाँ यहां भी ब्राह्मणों को ही आगे बढ़कर राह दिखानी पड़ेगी। शेष फिर कभी #RSC