लेह में बादल फटा परिणामस्वरूप आयी बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई ! काफी लोग मारे गए और कई गुना बेघर हो गए ! मनुष्य बहुत जुझारू प्राणी है! जिन्दा रहने की जबरदस्त चाह उसे फिर से खड़ा होने लायक कर देती है ! हुआ भी यही ! कुछ राहत कार्य और थोड़ा सा सरकारी मरहम, ये लीजिये आ गयी जिंदगी की गाड़ी फिर से पटरी पर ! इस बीच अखबारों में ख़बरें भी काफी आयीं, टीवी वालों ने भी पूरे मसाले डाल कर संवाददाताओं की आवाज़ में रहस्य और रोष के मिश्रण के साथ संवेदनहीन होते जा रहे श्रोताओं की आत्मा को झकझोरने की कोशिश की ! एक खबर और थी, जो कभी-कभी इस विपदा से भी बड़ी बना कर पेश की गयी वो थी 'रैंचो का स्कूल बहा' ! सैंकड़ों मकान पानी में बह गए थे, स्कूल की वो इमारत, जिसे 3इडियट्स फिल्म में रैंचो के स्कूल के रूप में दिखाया गया था, भी उन में से एक थी ! मुझे भी इस खबर में आम ख़बरों से ज्यादा रूचि तो थी पर इतनी तवज्जो मैंने नहीं दी कि इस पर एक पोस्ट ही लिख डालूँ ! बहरहाल आज सुबह एक नर्सरी स्कूल के सामने से गुजर रहा था तो मैंने देखा कि सुबह कि प्रार्थना में तीन से दस साल के बच्चों को लाइन में खड़ा कर के प्रिंसिपल साहिबा कुछ बड़ी-बड़ी बातें समझा रहीं थीं ! वो बातें समझने के लिए मुझे भी कुछ देर रुकना पड़ा ! मुझे नहीं लगा कि बच्चों के पल्ले कुछ पड़ा होगा ! छोटे बच्चों के स्कूल में सुबह की प्रार्थना में बच्चों को लाइन में लगा कर भाषणबाजी करना मुझे कभी समझ नहीं आया ! पता नहीं क्यूँ बच्चों को हम उन कि भाषा में न समझा कर वही घिसे पिटे तरीकों में फसें हुए हैं ! पढाई को रुचिकर बनाने की बजाय उबाऊ बनाने का काम हम बचपन में ही शुरू कर देते हैं ! और सब से ज्यादा बुरा हाल तो पब्लिक स्कूलों का है ! ये लोग अभिभावकों से पैसा एंठने में तो सदा ही तत्पर रहते हैं पर पढ़ाने के नाम पर इन के पास अक्सर अप्रशिक्षित या अल्प प्रशिक्षित अध्यापक होते हैं ! जो किताबों के बोझ तले बच्चों को दबाये रखते हैं पर पढ़ाई के नाम पर शून्य ! ये समझने की जरूरत न जाने कब महसूस की जाएगी की छोटे बच्चों के लिए बाल-मनोविज्ञान में भली भांति प्रशिक्षित अध्यापक रखे जाएँ जो बच्चों को रट्टू तोता बनाने की बजाय उन में मौजूद विधाओं को निखारें !
प्रिंसिपल साहिबा का रुचिकर भाषण मुझे उबाऊ लगा और मेरे कदम आगे की ओर बढ़ गए ! मुझे अफ़सोस है कि रैंचो का स्कूल बह गया !