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Tuesday, 18 November 2025

तोर दुपट्टा से पोंछबो कट्टा

'तोर दुपट्टा से पोंछबो कट्टा।

जहिया अई तो RJD के सत्ता!!'

और

भैया के आवे दे सत्ता।

कट्टा सटाए के उठाय लेबो घरा से।।


कह रहे हैं कि इन गानों ने बिहार में जंगल राज की याद ताजा कर दी और आरजेडी का सफाया हो गया।


परसों एक मित्र ने फोन करके खिन्नता से कहा कि मुख्यमंत्री ने च्यवन ऋषि मेडिकल कॉलेज का नाम बदल कर राव तुलाराम के नाम पर रखने की, आज की रैली में, घोषणा कर दी है। मेरे मुंह से निकला 'नायबड़ो करगो के खेल!' वह बोला 'क्या?' मैंने कहा कि हरियाणा में जाट धरती में बिठा दिए, उत्तर प्रदेश और बिहार में अहीर टिका दिए और आज बीजेपी ने दक्षिणी हरियाणा में अहीर केंद्रित राजनीति को ठिकाने लगाने लगा दिया। खैर 'कुत्ता कान ले गया' की आवाज़ सुन कर, कुत्ते के पीछे ना भाग कर, मैं अपने कान पर हाथ लगा कर देखने वालों में से हूं, अतः मैने भाषण सुनने के लिए यू ट्यूब का रुख किया।


हफ़्ते भर पहले राष्ट्रवादी यू ट्यूबर बाबा रामदास (बाबा की खरी खोटी चैनल वाले) का सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने मुझसे पूछा कि हरियाणा के अहीरों और यूपी बिहार के अहीरों में क्या फर्क है। मैंने कहा कि हरियाणा का अहीर यदमुल्ला नहीं है!  हरियाणा के किसी अहीर को ये कहते नहीं सुना कि वो हिन्दू नहीं अहीर है जबकि लोकसभा चुनाव के मौसम में बहुत सारे जाट और ठाकर भी गाते फिर रहे थे कि वो हिन्दू नहीं बल्कि जाट/राजपूत हैं, जैसे वो आसमान से टपके हों। और यूपी बिहार के अहीरों की तो बात ही छोड़ दीजिए। अहीर आज के दिन दक्षिणी हरियाणा में सब से अधिक प्रगतिशील जाति है, जिस का एक मात्र लक्ष्य तरक्की है और इसकी गूंज हर क्षेत्र में दिखती है। इलाके के सभी बड़े स्कूलों के संचालक अहीर हैं। हर व्यवसाय में, हर नौकरी में अहीरों का बोलबाला है। IAS, IPS, सेना में अधिकारी, आई आई टी, MBBS, हर क्षेत्र में अहीर! दक्षिणी हरियाणा का अहीर दुपट्टे से कट्टा पोंछने वाला भी नहीं है। बल्कि इलाका  आमतौर पर अपराध मुक्त है तो इसका कारण निःसंदेह अहीरों का अपराध में न के बराबर शामिल होना है। जो नए नए कुकुरमुत्ता गैंग उग रहे है वे भी गैर अहीर ही हैं। यदि कहा जाए कि अहीर इस क्षेत्र का ग्रोथ इंजन है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 


भाजपा की हिन्दू राजनीति से मुस्लिम तुष्टिकरण का किला ढहने के समानांतर जिस परिवर्तन पर लोगों का अधिक ध्यान नहीं वो ये है कि कहीं ओबीसी, कहीं सामंतवाद, कहीं ब्राह्मणवाद, कहीं किसान-कमेरे जैसे नारे लगाकर, 18-20% की आबादी के दम पर 30- 40 साल से राजनीति के पटल पर छाई विशेष जाति की राजनीति को हर जगह बाकी समाज ने झटक दिया। इस झटके की सबसे पहली शिकार 24 के लोकसभा चुनाव में भाजपा बनी। किंतु भाजपा की सब से बड़ी खूबी है कि ये पार्टी सीखती बहुत जल्दी है। इसने सीखा और जाट केंद्रित राजनीति को धता बता कर हरियाणा विधानसभा में ही बाजी पलट दी। दक्षिणी हरियाणा में राव इंद्रजीत की पुत्री के हारने से बाल - बाल बचने के बाद क्षेत्र की अहीर आधारित राजनीति के अंत की दस्तक तो सुनाई दी थी किन्तु इसकी पटकथा कोरियावास मेडिकल कॉलेज के नाम पर विवाद उठा कर कुछ मूर्खों ने स्वयं ही लिख दी। हालांकि च्यवन ऋषि के सामने राव तुलाराम को खड़ा करना किसी के गले नहीं उतरा और शेष समाज की बात तो छोड़िए, अधिकांश अहीरों ने ही इस विवाद को गलत बताया। किंतु वोट बैंक तो वोट बैंक है, नहीं माना! इस पृष्ठभूमि में जब मुझे मुख्यमंत्री की घोषणा का पता चला तो मेरे मुंह से उपरोक्त 'खेल कर गया' शब्द ही निकले। हालांकि जब मुख्यमंत्री का भाषण सुना तो समझ आया कि च्यवन ऋषि मेडिकल कॉलेज परिसर में बनने वाले अस्पताल का नाम राव तुलाराम के नाम पर होगा। यानि चम्मच में च्यवनप्राश! चाटते रहो! फिर भी यह अच्छा फैसला है। च्यवन ऋषि और तुलाराम दोनों ही क्षेत्र के महापुरुष हैं और च्यवन ऋषि तो तुलाराम के लिए भी महापुरुष रहे होंगे। परलोक में उनकी आत्मा स्वयं को च्यवन ऋषि की गोद में पा कर हर्षित ही होगी। लेकिन दो सवालों का जवाब नहीं मिल रहा। पहला, जिस गांव की ज़मीन पर यह मेडिकल कॉलेज बन रहा है उसके आसपास के लोगों को नौकरी तथा कॉलेज की सीटों में आरक्षण देने की मांग, जो निःसंदेह जायज थी! उसका क्या हुआ! क्या वो तुलाराम के नाम के अस्पताल के नीचे दब गई? फिर महीनों चले धरने का क्या औचित्य हुआ? वहां के लोगों को मिला क्या? अस्पताल के नाम का झुनझुना! खैर दूसरा सवाल कि क्या शेष उत्तर भारत की तरह दक्षिणी हरियाणा में भी 'अधिसंख्य जाति' केंद्रित राजनीति के दिन लद गए? जो भी हो पर पहले हरियाणा और अब बिहार के नतीजों का सबक तो सबके लिए है कि कोई भी जाति समाज को लंबे समय तक बंधक नहीं बना सकती, जब वो ठाड़ पर उतर आती है तो समाज उसको उसकी जगह दिखा ही देता है। इसके प्रमाण आने वाले समय में देखने को मिलते रहेंगे। वैसे यू ट्यूब पर दुपट्टे से कट्टा पोंछने वाला गाना ज़रूर देखिएगा! 

सादर 

राकेश चौहान 

#RSC

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