पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती !
सांस मेरी फिर रुक सी जाती पल पल याद तुम्हारी आती !!
झर झर कर यों गिरते पत्ते, पेड़ों से जब प्रेम पत्र से!
महक उठे जब मन मयूर, कोयल के मीठे गीतों से!!
रंग-रंगीली तितली जब-जब, फुनगी-फुनगी छू कर जाती!!
तब-तब याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!
पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!!
इठलाती बल खाती नदिया पर्वत की गोदी से उतर कर!
मूढ़ किनारों से छिप-छिप कर, सागर से मिलने को जाती!!
श्याम घटा जब-जब आँचल में मोती सी बूंदें ले कर जाती!
तब-तब याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!
पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!!
धूप में जल कर सुलगे टीले, सूरज की गर्मी से बच कर!
शीतल चांदनी की बाँहों में, लिपट चैन से जब सो जाते!!
कस्तूरी की भीनी खुश्बू जब-जब हिरणों को बहकाती!
तब-तब याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!
पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!!
बैरन बहती सर-सर हवा, सपने लेती टहनियों को!
हिला हिला के जब जगाती, तब तब याद तुम्हारी आती!
पल-पल याद तुम्हारी आती हर पल याद तुम्हारी आती!!
bhut achhi kavita hai sir..............bt naam to bta do kisne likhi thi ye................sonam
ReplyDeleteLikhi to maine hi hai......par kya karu shakl hi aisee hai ki kuchh bhi kar do log mante hi nahi hai
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